About Author
वैसे तो मेरे बारे में बताने को कुछ है नही, क्यु की मैं खुद कुछ नही हुं, पर मेरी कहानिया ही सब कुछ है। मुजे मेरी कहानीया काफी पसंद होती है, क्यु की उन सभी कहानीयो में मैं अपने खयालो के कई ताने-बाने शामिल करता हुं जो की कहीं ना कही इस वास्तविक दुनिया मैं नही है, पर खयालो की दुनिया में यह जरुर हाजिर होते है।
मेरा नाम अजय राठोड है और में कहानिया लिखता हुं, मैं कोई प्रोफेशनल लेखक तो नही हुं पर मुजे लिखना अच्छा लगता है इसलिए लिखता हुं। वैसे मुजे लिखने की आदत तब से हो गई थी जब में सिर्फ ११ साल का था। सच कहुं तो तब में रात को जो ख्वाब आते थे सुबह उठकर उन्हे लिख लेता था, और उसे किसी कहानी का रुप देने की कोशिश करता रहता था।
मैं पांचवी क्लास पास कर जवाहर नवोदय विधालय में पढने गया था, और यहीं से मेरी कहानियो का जन्म हुआ था, कई एसे लोग मुजे यहां मिले थे जो कहानिया लिखते थे, तब उस समय पर एक सामयिक भी प्रिंट होता था जिनमें हम अपनी कहानिया प्रकाशित कर सकते थे। मैेरे एक दोस्त की कहानी भी जब उस सामयिक के उसके नाम के साथ छपकर आई तभी सें मैने लिखना ओफिशियली स्टार्ट कर दिया था, और मैरी कहानिया तब से शुरु हो चुकी थी।
दो साल मैने वहां पढाई की तब तक मैने कई सारी कहानिया लिखी थी। पर सारी किसी पेपर में लिखता और वह कई गुम हो जाती। इसके बाद मैने जब वह स्कुल छोड दिया और घर आ गया पढने, तब दोस्तो के साथ हसीं मजाक करने मैं यह कहानिया भी कहीं दब सी गई थी।
पर इसके बाद सबसे बडा मौका मुजे १२वीं क्लास की होस्टेल लाइफ में मिला। क्यु की यहां होस्टेल में करने को कुछ नही था तो मैंने फिर से लिखना स्टार्ट कर दिया, साथ ही दुसरे सभी बच्चो को भी करने को कुछ नही था तो वह मेरी कहानी पढने को ले जाया करते थे।
एक तरहे से आपको बताउं तो वहां मैं एक सेलेब्रिटी ही बन गया था, मेरा नाम भी वहां राइटर हो चुका था, और मेरी उस कहानियो को पढने के लिए लोग अपनी बारी का इंतजार किया करते थे। यहां मुजे कई दोस्तोने किताब पब्लिस करने को भी कहां था, और इस तरह ही मेरी अंदर भी कहीं ना कहीं एक लेखक बनने का ख्वाब खिल उठा।
पर उस समय, मतलब की हर एक समय जब से होंश संभाला था तब से लेखक नही पर इंडियन आर्मी में एक अफसर बनना चाहता था, पर वह सिर्फ ख्वाब ही रह गया।
About My vision
सोचा था की अपनी किताब पब्लिस करुं मैने कइ तरीके आजमाए और कई तरह की कोशिश भी की, पर मैं अपनी किताब पब्लिस नही कर पाया। साथ ही अब मुजे लिखने से डर लगता था, क्यु की मुजे लगता था की अगर हम अंग्रेजी में लिखकर किताब पब्लिस करते है, तभी लोग हमारी कहानिया पढेंगे। हिंदी में लिखी गई कहानियो को कोई भी नही पढेगा।
मेरे इसी डर ने मुजे आज तक अपनी कहानियो से दुर रखा। मैं लिखता चाहता था, अपनी किताब पब्लिस भी करना चाहता था, पर अंग्रेजी ना आने की वजह से मैं लिखने से डरता था। इस डर में मैने अपने सात साल लिखना छोड कर बिजनेस में लगा दिए। हालांकी यह सात साल मेरे लिए वनवास ही थे, क्यु की ना ही बिजनेस सेटअप हो रहा था और ना ही मैं कुछ लिख पा रहा था। वह बहुत ही बुरा दौर था जिंदगी का।
फिर एक दिन मेरी जिंदगी में मौड आया, यह तब की बात है जब उम्र और तजुर्बे हमें काफी कुछ सिखा देते है, और मैं भी उन दौर से गुजर रहा था। इस दौर में मैने अपना ब्लोग आज फिर से स्टार्ट कर दिया और मेरा बिजनेस भी आज अच्छे से चल रहा है। साथ ही अब मैने किसी भाषा के पीछे भागना भी बंद कर दिया है।
क्यु की मुजे यह एहसास हो चुका था की लिखना मेरे खुन में है, और मैं लिख सकता हुं क्यु की मैं उसको महसुस कर सकता हुं, लोग क्या पढना चाहते है इससे कुछ फर्क नही पडता है, फर्क इससे पढता है की आप क्या करना चाहते है। इस सोच मैं मेने मेरी पूरानी अंग्रजी में बनी वेबसाईट को हटा दिया और अपनी यह वेबसाईट हमारी अपनी भारतीय भाषा हिंदी में स्टार्ट कर दिया।